पानी, जब सतह पर प्रवाहमान रहता है, तो वह तलछटों का इस्तेमाल करने में सक्षम होता है और इन्हें नीचे की तरफ बहा ले जाता है, या तो तल भार अथवा प्रसुप्त भार के रूप में या फिर विघटित भार के रूप में.
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पानी, जब सतह पर प्रवाहमान रहता है, तो वह तलछटों का इस्तेमाल करने में सक्षम होता है और इन्हें नीचे की तरफ बहा ले जाता है, या तो तल भार अथवा प्रसुप्त भार के रूप में या फिर विघटित भार के रूप में.
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रावण-महिमा श्यामा विभावरी, अन्धकार, यह रूद्र राम-पूजन-प्रताप तेजः प्रसार; उस ओर शक्ति शिव की जो दशस्कन्ध-पूजित, इस ओर रूद्र-वन्दन जो रघुनन्दन-कूजित, करने को ग्रस्त समस्त व्योम कपि बढ़ा अटल, लख महानाश शिव अचल, हुए क्षण-भर चंचल, श्यामा के पद तल भार धरण हर मन्द्रस्वर बोले-“सम्बरो, देवि, निज तेज, नहीं वानर यह,-नहीं हुआ श्रृंगार-युग्म-गत, महावीर, अर्चना राम की मूर्तिमान अक्षय-शरीर, चिर-ब्रह्मचर्य-रत, ये
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रावण-महिमा श्यामा विभावरी, अन्धकार, यह रूद्र राम-पूजन-प्रताप तेज:प्रसार; इस ओर शक्ति शिव की जो दशस्कन्ध-पूजित, उस ओर रूद्रवंदन जो रघुनन्दन-कूजित; करने को ग्रस्त समस्त व्योम कपि बढ़ा अटल, लख महानाश शिव अचल, हुए क्षण भर चंचल; श्यामा के पद तल भार धरण हर मन्द्रस्वर बोले-“सम्वरो, देवि, निज तेज, नहीं वानर यह, नहीं हुआ शृंगार-युग्म-गत, महावीर अर्चना राम की मूर्तिमान अक्षय-शरीर, चिर ब्रह्मचर्य-रत ये एकादश रूद्र, धन्य, मर्यादा-पुरुषोत्तम के सर्वोत्तम, अनन्य लीला-सहचर, दिव्यभावधर, इन पर प्रहार करने पर होगी देवि, तुम्हारी विषम हार;